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सामान्य अध्ययन पेपर – II शासन व्यवस्था, संविधान, राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सामान्य अध्ययन पेपर – III  प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन


संदर्भ

हाल ही में  20 नवंबर 2025 को, कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) की 7वीं बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और सहयोग के भविष्य के रोडमैप पर गहन चर्चा की गई। इस बैठक में सेशेल्स को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया जाना और मलेशिया की अतिथि के रूप में भागीदारी, इस समूह की बढ़ती प्रासंगिकता को रेखांकित करती है। यह घटना हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत के 'सागर' (SAGAR) दृष्टिकोण को मूर्त रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  क्या है?

कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव हिंद महासागर क्षेत्र में एक क्षेत्रीय सुरक्षा समूह है जिसका उद्देश्य समुद्री डोमेन जागरूकता, आतंकवाद का मुकाबला, और संगठित अपराधों पर नियंत्रण के लिए सदस्य देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग स्थापित करना है।

  • स्थापना: 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच एक त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में शुरू हुआ, जिसे 2020 में पुनर्जीवित किया गया और इसका दायरा बढ़ाया गया।
  • वर्तमान पूर्ण सदस्य: भारत, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस, बांग्लादेश, और हाल ही में शामिल हुआ सेशेल्स
  • उद्देश्य: एक सहयोगी, समावेशी और शांतिपूर्ण समुद्री वातावरण को बढ़ावा देना, जिसमें सभी क्षेत्रीय हितधारकों के विकास और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।


चर्चा में क्यों

कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  की हालिया बैठक कई कारणों से महत्वपूर्ण रही:

  • सदस्यता का विस्तार: सेशेल्स को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल करने से कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  की भौगोलिक उपस्थिति पश्चिम हिंद महासागर तक बढ़ गई है, जिससे सुरक्षा कवरेज में वृद्धि हुई है।
  • अतिथि की भागीदारी: मलेशिया की अतिथि के रूप में उपस्थिति ने IOR और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने की संभावनाओं को खोला है।
  • चुनौतियों पर ध्यान: हिंद महासागर में बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, समुद्री डकैती, अवैध तस्करी, और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के बीच, कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  एक साझा और समन्वित प्रतिक्रिया के लिए एक आवश्यक मंच प्रदान करता है।


महत्वपूर्ण विषय

बैठक में क्षेत्रीय सहयोग के पाँच मुख्य स्तंभों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया:

क्र.सं.

सहयोग का स्तंभ

मुख्य चर्चा बिंदु

1.

समुद्री सुरक्षा और संरक्षा

समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) को बढ़ाना, सूचना साझाकरण तंत्र, और संयुक्त समुद्री अभ्यास आयोजित करना।

2.

आतंकवाद और कट्टरता का मुकाबला

सीमा पार आतंकवाद और ऑनलाइन कट्टरता का सामना करने के लिए खुफिया जानकारी और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान।

3.

अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से मुकाबला

मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध हथियार व्यापार, मानव तस्करी और अवैध, अनियंत्रित और अनियमित (IUU) मत्स्यन को रोकना।

4.

साइबर सुरक्षा

महत्वपूर्ण समुद्री अवसंरचना (Ports, Cables) की सुरक्षा और साइबर हमलों से निपटने के लिए क्षमता निर्माण।

5.

मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR)

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और राहत कार्यों के लिए समन्वय तंत्र को मजबूत करना।


कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  का महत्व

  • क्षेत्रीय स्वामित्व: कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  इस विचार को पुष्ट करता है कि IOR की सुरक्षा क्षेत्र के देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है, जिससे बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता कम होती है।
  • चीन की बढ़ती उपस्थिति का संतुलन: यह हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक गतिविधियों (जैसे कि 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति) के जवाब में एक विकल्प-आधारित, सहयोगी ढाँचा प्रस्तुत करता है।
  • समावेशी मॉडल: यह एक गैर-सैन्यीकृत, सहयोगी और सर्वसम्मति-आधारित मॉडल है, जो इसे अन्य सुरक्षा गुटों से अलग और अधिक टिकाऊ बनाता है।


भारत का दृष्टिकोण

भारत कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  को अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति और 'सागर' (SAGAR: Security And Growth for All in the Region) पहल के कार्यान्वयन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच मानता है।

  • क्षेत्रीय नेतृत्व: कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  भारत को एक विश्वसनीय और जिम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है, जो अपने पड़ोसियों की सुरक्षा और विकास को प्राथमिकता देता है।
  • सामरिक गहराई: समूह का विस्तार भारत की सामरिक पहुँच को बढ़ाता है, खासकर पश्चिमी हिंद महासागर और अफ्रीका के निकटवर्ती क्षेत्रों में।

विश्लेषण

कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव , संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) या क्वाड (QUAD) जैसे औपचारिक समूहों की तरह बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह ट्रैक-1 (सरकारी) कूटनीति के माध्यम से विश्वास और सहयोग निर्माण में अत्यधिक सफल रहा है। यह समुद्री सुरक्षा को समग्र सुरक्षा (जिसमें साइबर और आपदा राहत भी शामिल है) के रूप में देखने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सदस्य देश सहयोग की प्रतिबद्धताओं को जमीनी स्तर पर कितनी कुशलता से लागू करते हैं।


आगे की राह

  • व्यापक भागीदारी: मॉरीशस, सेशेल्स और बांग्लादेश जैसे नए सदस्यों को शामिल करने के साथ ही, भविष्य में म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे अन्य महत्वपूर्ण तटीय देशों को पर्यवेक्षक के रूप में जोड़ना आवश्यक है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) को मजबूत करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और उपग्रह-आधारित निगरानी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग बढ़ाना चाहिए।
  • समुदाय-आधारित पहल: मछुआरा समुदायों, व्यापारिक जहाजों और स्थानीय प्रशासन को समुद्री सुरक्षा के प्रयासों में शामिल करने की आवश्यकता है।


निष्कर्ष

कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव ) हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के 'प्रदाता' से 'साझेदार' बनने की दिशा में भारत और इसके पड़ोसियों के बीच सामूहिक संकल्प का प्रतीक है। यह क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग के लिए एक स्थानीय, समावेशी और प्रभावी टेम्प्लेट प्रदान करता है। जैसे-जैसे हिंद महासागर की भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक महत्ता बढ़ती जा रही है, कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव  एक स्थिर और समृद्ध क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में एक अपरिहार्य स्तंभ बना रहेगा।